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जैन स्वाध्यायमाला
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अणता अकारणा, अणता जीवा, अणता अजीवा, अणता भवसिद्धिया, अणता अभवसिद्धिया, अणता सिद्धा, अणता असिद्धा पण्णत्ता
भावमभावा हेऊमहेऊ कारणमकारणे चेव । जीवाजीवा भवियमभविया, सिद्धा असिद्धा य ।।२।
इच्चेयं दुवालसगं गणिपिडगं तीए काले अणता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरत ससारकतारं अणुपरियट्टिसु इच्चेइय दुवालसंग गणिपिडग पड़प्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरतं संसारकतार अणुपरियति । इच्चेइय दुवालसंगं गणिपिडग अणागए काले अणता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतं ससारकंतारं अणुपरियट्टिस्सति । इच्चेइयं दुवालसगं गणिपिडग तीए काले अणता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंत ससारकतार वोईवइसु । इच्चेइय दुवालसगं गणिपिडग पड़प्पणकाले परित्ता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरत ससारकतार वीईवयति । इच्चेइय दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणता जीवा प्राणाए आराहित्ता चाउरत संसारकंतारं वीईवइस्सति । इच्चेइय दुवालसंग गणिपिडग न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ, भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य, धुवे, नियए, सासए, अक्खए, अव्वए, प्रवट्रिए, निच्चे । से जहानामए पचत्थिकाए न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ, भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य, धुवे, नियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, निच्चे, एवामेव दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ