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नन्दीसूत्र-मतिज्ञान
वंजणग्गहस्स परूवणं करिस्सामि पडिवोहगदिठंतेण मल्लगदिट्टतेण य । से किं तं पडिवोहगदिळंतण ? पडिबोहगदिट्टतेण से जहानामए केइ पुरिसे कचि पुरिसं सुतं पडिबोहिज्जा, अमुगा अमुगत्ति, तत्थ चोयगे पन्नवय एव वयासि-कि एगसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छति ? दुसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति ? जाव दससमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छति ? संखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छति ? असंखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहण मागच्छति ? एवं वयंत चोयगं पण्णवए एवं वयासी-नो एगसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, नो दुसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, जाव नो दससमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छति, नो सखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छति, असखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, से त पडिवोहगदितेण । से कि त मल्लगदिट्ठतेणं मल्लगदिट्ठतेण से जहानामए केइ पुरिसे आवागसीसाम्रो मल्लगं गहाय तत्थेग उदगविद् पक्खेविज्जा, से णठे. अण्णेऽवि पक्खित्ते सेऽवि णठे एवं पक्खिप्पमाणेसु पक्खिप्पमाणेसु होही से उदगविदू, जे ण त मल्लगं रावेहिइत्ति, होही से उदगबिंदू, जे ॥ तसि मल्लगसि ठाहिति , होही से उदगविंदू । जे णं तं मल्लगं भरिहिति, होही से उदगविद, जे ण त मल्लग पवाहे हिति, एवामेव पक्खिप्पमाणेहिं पक्खिप्पमाणेहि अणतेहि पुग्गलेहिं जाहे त वजणं पूरियं होइ, ताहै हु त्ति करेइ, नो चेव ण जाणइ के वेस सद्दाइ ? तमो ईह पविसइ, तो जाणइ अमगे एस सद्दाइ, तओ अवायं पविसइ, तो से उवगय हवइ, तमो धारण पविसइ,