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जन स्वाध्यायमाला
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जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मंडले ७। लेसासु छसु काएसु, छक्के आहारकारणे। जे भिक्खू जयई निच्च, से न अच्छइ मंडले ।। पिंडोग्गहपडिमासु, भयट्ठाणेसु सत्तसु । जे भिक्खू जयइ निच्च, से न अच्छइ मंडले ।।। मदेसु बम्भगुत्तीसु, भिक्खु-धम्मम्मि दसविहे । जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मडले ।१०। उवासगाण पडिमासु, भिक्खूण पडिमासु य । जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मडले ।११। किरियासु भूयगामेसु, परमाहम्मिएसु य । जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मडले ।१२। गाहासोलसएहि, तहा असंजमम्मि य । जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मंडले ।१३। बम्भम्मि नायज्झयणेसु, ठाणेसु य समाहिए। जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मंडले ।१४। एगवीसाए सबले, बावीसाए परीसहे। जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मंडले १५॥ तेवीसाए सूयगडे, रूवाहिएसु सुरेसु य । जे भिक्खू जयई निच्चं, से न अच्छइ मडले ।१६। पणवीस भावणासु, उद्देसेसु दसाइणं । जे भिक्खू जयई निच्च, से न अच्छइ मंडले ।१७। अणगारगुणेहिं च, पगप्पम्मि तहेव य । जे भिक्ख जयई निच्चं, से न अच्छइ मंडले।१८॥