SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन स्वाध्यायमाला सुद्धेण पडिग्गाहगसुद्धेण तिविहेण तिकरणसुद्धेण सूदत्ते अणगारे पडिलाभिए समाणे ससारे परित्तीकए। मणुस्साउए णिवद्धे । गिहंसि य से इमाइंपच दिव्वाइ पाउभूयाइ। त जहा-१ वसुहारा वुटा २ दसवण्णे कुसुमे णिवाइए ३ चेलुक्खेवे कए ४ पाहयाओ देवद्दुहिरो ५ अतरा वि य ण आगास सि अहो दाण अहों दाण घट्टे य । तए ण हस्थिणाउरे णयरे सिंघाडग जाव पहेमू बहजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ ४ धण्णे ण देवाणुप्पिया सुमुहे गाहावई जाव त धण्णे ण देवाणुप्पिया सुमुहे गाहावई । तए ण से सुमुहे गाहावई बहूइ वासाइ आउय पालेइ पालित्ता कालमासे काल किच्चा हेव हत्यिसीसे णयरे अदीणसत्तुस्स रण्णो धारिणीए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे । तए ण सा धारिणी देवी सणिज्जसि सुत्तजागरा उहीरमाणी उहीरमाणी तहेव सीहं पासइ । सेसं त चेव जाव उप्पि पासाए विहरइ । त एवं खलु गोयमा । सुवाहुणा कुमारेणं इमे एयारूवा माणुस्सरिद्धि लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया। प ण भते । सुबाहकुमारे देवाण प्पियाण अतिए मुडे भवित्ता अगारामो अणगारिय पव्वइत्तए ? हता पभू । तएण से भगवं गोयमे समण भगव महावीर वदइ णमसइ वंदित्ता णमसित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ । तए ण से समणे भगव महावीरे अण्णया कयाइ हत्थिसीसाओ णयरामो पुप्फकरंडयाओ उज्जाणाओ कयवणमालप्पियस्स जक्खस्स जक्खाययणायो पडिणिक्ख मइ,पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहार विहरइ। तए ण से सुबाहुकुमारे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिला मेमाणे विहरइ । तए ण
SR No.010312
Book TitleJain Swadhyaya Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1965
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy