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जैन सुवोध गुटका।
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हिकारत की नजर से; सब देखते तुमको सही । मरना तुम्हें इससे बहत्तर, करके कुछ दिखलाइयो ॥४॥ जागन यूरोप देश ने, किनी तरक्की किस कदर । वे भी तो इन्सान हैं, करके कुछ दिखलाइयो ।॥॥५॥ उठा के गफलत का पड़दा, सुधार लो हालतं सभी । इन्सान को मुश्किल नहीं, करके कुछ दिखलाइयो ॥ ६॥ जो इरादा तुम करो तो, बीच में छोड़ो मती । मजबूत रहो निज कौल पर, करके कुछ दिखलाइयो ॥ ७॥ नीति रीति शान्ति क्षमा; कर्तव्य में मशगूल रहो । खुद और का चाहो भला, करके कुछ दिखलाइयो ।!! काम अपना जो बजाना, 'लोगों से डरना नहीं । उत्साह से बढ़ते चलो, करके कुछ दिखलाइयो ॥8॥ संतान का चाहो भला, रंडी नचाना छोड़दो । वृद्ध बाल विवाह बंद करो, करके कुछ दिखलाइयो।। १०. ॥ फिजुल खर्ची दो मिटा, मुँह फूट का काला करो । धर्म जाति की उन्नति, करके कुछ दिखलाइयो ।। ११ ॥ दुनियां अव्वल सुधर. जातो, दीन कोई मुश्किल नहीं । चौथमल कहे इसलिये, करके कुछ दिखलाइयो।॥ १२॥
७६ स्त्रियों को हित शिक्षा. ( तर्ज-गवरल ईसरजी कहे तो हंसकर बोलनाए ) .. सुन्दर हित की देऊं में सीख, हृदय में धारजेए । दुर्लभ उत्तम तन को पाय तू, कुल उजवालजेप ॥ टेर | कका कंथ आज्ञा को, नहीं उलंघनाए । खखा क्षमा धार कर रहिजे, गगा गाल. कलह तज दीजे, घघा घर में सुयश लीजे । 'नना नरम बयन तज कठिन मति उचारजेए । सुन्दर० ॥ १॥ चचा