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(३१२) जैन सुबोध गुटका। मारा प्रभुजी राजपाट तजीने, वैराग्य हृदय विचार । हारे देखो वैराग्य हृदय विचार, प्रभुजी केरी तपकी झूलेरे ॥१॥ मारा प्रभुजी ज्ञान घोड़ा पे चदिया, लिनी है तप की तलवार । हारे देखो लिनी है तप की तलवार, प्रभुजी केरी तपकी झूलेरे ॥२॥ सतरे विध संयम की सेनाले साथ में, इरिया का उड़े निशान । हारे देखो इरिया का उड़े निशान, प्रभुजी केरी तपंकी झूलरे ॥३॥ बावीस परिषद की फोजां को जीती, समता का ले हथियार । हारे देखो समता का ले हथियार, प्रभुजी केरी तप की भूलेरे ॥४॥ शुक्ल ध्यान का बाजे नकार, कांपे है पाप उसबार । हारे । देखो कांपे है पाप उसवार, प्रभुजी केरी तप की झूलेरे ॥५॥ खप्पक श्रेणी चढ मोह नृप को, छिन्त्र में है डाला विडार। हारे देखो छिन्न में है डारा विडारः प्रभुजी केरी तपकी झूलेरे ।। ६॥ मारा प्रभु की जब विजय हुई है, लीनो है मुक्ति को राज । हारे देखो लीनों है मुक्ति को राज, प्रभुजी केरी तप की भूलेरे ।। ७। चौथमल की यही है विनति, कीजोजी नैया को पार । हाँजी प्रभु कीजोजी नैया को पार, प्रभुजी केरी तप की भूलेरे।।८॥
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नम्बर ४२४ ...(तर्ज-कमली वाले की)... : दया धर्म का परिचय प्रालिम को, दिखला दिया