________________
(२५)
Parinterp
.
.
भरी पारा ॥ जीव० ॥३॥ . इससे बचना दिली । निज माल जायत रखियोनी । उपकारी देन पुलाम जीया || यह दनियां याग को जानो दरबार होच कहानी जी। लेनकी-फल दो चाग ।।जीब० ॥५॥ जर बाल पजा की याद । टम चला तूं जावनी मय पदार यह पसास || जीव०॥६॥ कहीं जल में माल बनाया। थल पर बाग लगायाजी। चौथमल को, सेराजारा || जीव० ॥७॥
३४१ विद्या,
(तारा) विद्या पढ़ने में जिया लगाया करी। टेर ॥ विद्या की नर और नारी का भूपण । मालग पो दर भगाया को विद्या||१|| विधा से इज्जत निघास कीम, मदाशा अभ्यान महाया प.गे। विधा १२ माला हंसी मजाक में । वमी भूल के बा तुमचाया पर "विधा }1३॥ हंगना लस्ता गाली का देना !ी शाता जापन जाया करो। विद्या गोधमन फा मुनो १६ पाटक नशेपानये. पान जाया ?
.
.
..
.
.
.
.
.
Admiseo