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जैन सोध गुटका ।
कई परदेशी लो । नर तन शहर में प्राय परदेशी । उलट पुलट कई होगया परदेशी लो, तूं मत जाना ठगाय परदेशी ॥ २ ॥ मंहगी मानव कोटड़ी, परदेशी लो । लीवी सदर बाजार परदेशी । समय कमाई को मिल्यो परदेशी लो । तूं सोया टांग पसार परदेशी ॥३॥ मत खो पूंजी मूनकी परदेशी लो, लेखो लेगा सेठ परदेशी धर्म धन करो चौगुना परदेशी लो । जमें सवाई पेठ परदेशी ॥ ४ ॥ चौथमल शिक्षा करे परदेशी लो । साल इक्यासी माय परदेशी। मारवाड़ में सादड़ी परदेशी लो। कियो चौम सो आय परदेशी ॥५॥
३१५ मोहफन्द से बचना. . (सर्ज-ना छेड़ो, गाली दूंगारे भरवादो मोय नीर) .
मत पड़ मोहनी के फन्द मेरे, तं मान मानः मान बोटेर।। जो मोहनी के फन्द में आया । वह पूरा फिर पछताय।। रावण ने राज्य गंवायारे ॥ तूं० ॥ १ ॥ जाने माया भेरी । की कमा कमा कर मेरी । पर साथ चले नहीं तेरीरे तूं मान० ॥ २ ॥ सुन्दर देखी काया। तेने इतर फूलेल लगाया। पर है वादल.ज्यूं-छ'यारे दूं।। ३.।। सज, सोलह शृंगारा । फिर बार करे नखरारा । तूं मत लागो. इस चारारे तूं० ॥ ४॥ जो मोह के फन्द में अासी । तुझे