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(२१०) ... जैन सुबोध गुटका । चिन्ता है इस बात कीरे, पर भव मोटो पंथ ॥ हो सुन सुन्दर इसमें सलाह कहो क्या थारी म्हांका राज |सगजजी० ॥६॥ इस तन से सुन साहिबारे तिरिया जीव अनन्त । जप तर करनी तुम करोरे, सेवो गुरु निग्रंथ ॥ हो हंसराज यह नर कर्तव्य मैं बतलायो म्होका राज ।। हंसराजजी हो० ॥७॥ पहले तो सुध थी नहारे, तेरे मोह में लाग। भोगों में फंसियो हुओरे देखा ख्याल सुना राग । हो सुन्दर थारी मनकी मौजों किनी म्हांका राज ॥ हंसराजजी० ॥ ८ ॥ धर्म करता नहीं नटीरे, फिर भी कहूं हजूर । पीछे खेती नीरजेरे तब भी दारिद्र दूर । हो हंसराज पारा वृथा दोप मत दीजे म्हाका राज ॥ हंसराजजी हो० ॥६॥ अपि हैं. जहां तक मैं रहूंरे फिर बल जल होती खाक । झूठी जो इसमें हुए तो लोक भरे मेरी साख । हो हंसराज़ यो सती को धर्म बतायो म्हांका राज ।। हंसराजजी ॥१०. जीव तणा संकल्प समीरे, काया बोले नाय । चौथमल या चोच लगाई दीवी ..सभामें गाय:। हो हंसराज तुझको ज्यूं. यूं कर समझावा म्हांका राज ॥ हंसराज जी० ॥ ११ ॥
२६८ क्षमा याचना,
तज-दादरा) .. · : कसूर मेग माफ, करो गुनहगार हूं । टेर ॥ छाया है जोश मोह का, कुछ दिखता नहीं । दरदी को खबर नाह