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जैन सुबोध गुटका ।
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सुकृत करनी करे हरन ।। सातों०॥ ३. ॥ चौथी सखी कहे सुनोरी सजनी, वैश्या से पिया की लगी लगन । कहा न माने, रात दिन उसके इश्क में रहे मगन । बड़ी गजब की . बात माल योवन दोनों का करे हवन । दुनियां कहती, आज कल इनके बिगड़ गये चाल चलन | आगे नरक यहां बे मतलब वो नहीं रखने दे घर में चरन ॥ सातो. ॥ ४ !! सखी पांचवी कहती पिया मेरे तो बड़े शिकारी हैं । हथियार बांध के, रात दिन घूमे विपिन मुझारी है । हिरन, सिंह, खरगोश को मारे, करुणा दिल से बिसारी हैं । जो मरे हाथ से बदला वह लेने खड़ा तैयारी है.। मैने सुना ऐसे पापी को, ईश्वर भी नहीं रक्खे शरण ॥ सातों० ॥ ५ ॥ छटी सखी कहे मेरे पिया की बुरी आदत चोरी की पड़ी । वो छुप छुप रेवे, रात दिन घर में रहे नहीं एक घड़ी। नहीं ख्याल जरा भी उनको, इस. में बात है बहुत बड़ी मै तो हार गई सखीरी ! शिक्षा देती कड़ी कड़ी । ऐसे बन कर्मों से सजनी एक रोज वह बैठे धरन । सातो० ॥ ६॥कहे सखी सातवीं सुनोरी सजनी, मेरा पिया ताके परनार । भूल कमा-. ई, सदा रहे.चन्द्र बारवां बड़ा विचार । यहां तो फर्क इज्जत में
आव; आगे खुला है नरक द्वार । चौथमल कहे व्यसनों से बचो, निसे होना हो.पार । उन्नीसे सत्तत्वरं माधुपुर में, कथा जिकर सुनो चारों वरन । सातो० ॥ ७॥.. . .