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________________ "जैन सुबोध गुटका | २७० उम्र. ( तर्ज--गजल दादरा ) ● ( १८३ ) संधी WHEN HE COPY "AND" "AS दुनियां से चलना है तुझे, चाहे श्राज चल या कल | अनमोल व शथ से, जाता है पल पे पल || ढेर || याता है श्वांस जिस में, प्रभु रटना हो तो रट । चेत चत उमंदा बाई, बाहार की फसल || दुनियां० ॥ १ ॥ हुआ दिवाना ऐश में, पाखिर का डर नहीं। सर पर तेरे हमेशा रहे, घूमता अजल || दुनियां ॥ २ ॥ नेकी वदी सामान को, उठाके पीठ पर | खुद को ही चलना होगा, बढ़ी दूर की मजलं || दुनियां० || ३ || मात्र कफे दस्त ज्यूं जाती जिन्दगी । बदकार की बदी में गई, राखीने की सफल ॥ दुनियां० ||४|| कहे चौथमल गुरु वकील, थागाई दे तुझे । करले अपील जीव थर, हाथ में मिसल २७१ परस्त्री परिणाम..... ( तर्ज-कर्दी मुशकिल जैन फकीरी राग पंजायी ) यह इश्क बुरा परनार का, कभी भूल संग मत करना ॥ ढेर || जो परनार के फन्दे में आया, तन धन यश उसने गंवाया, फिरतो वह बहुत पछताया, न घर का रहा न महार का । जरा दिल में ध्यान तो धरना || यह ० ॥ १ ॥ राजा रावन था बलकारी | रघुवर की लायो बह नारी । च
SR No.010311
Book TitleJain Subodh Gutka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChauthmal Maharaj
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1934
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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