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( ८ )
. सं.
ज
.१६६ जिया गफलत की नीन्द .१७० जिया साथ क्या यहां से १७१ जीवराज येतो श्राच्छो १७२ जीना तुझे यहां चार १७३ जुधां खेलों नं शिक्षा १७४ जो आनन्द मङ्गल चात्ररे
खुद
१७५ जो इतनी मस्ताई है १७६ जो हो नहीं समझा १७७ जो जोवन के हो मदमाते १७८ जो धर्म वीर पुरुष है १७६ जो पर की करे वुराई है
१८० जो ब्रह्मचर्य घरता है
- १८१ जो वर्तमान पढ़ाई है १८२ जो हो मोक्ष के बीच में
१८३ जो होवे सच्ची नार
ติ
१६४ तजो
तुम रात का खाना १८५ तजोरे जिया भुंठो यो संसार
१८६ तपकी झुले छे तल १८७ तला से कहां उसे ढूंढे १८८ तारीफ फैले मुल्क में १८६ तीनों की फक्त लड़ाई है १६० तुझे जिना अगर दिनं १६१ तुभं देवे सद्गुरु ज्ञान : १९२ तुम द्वेषता वजीरे
.
पृष्ठाङ्क
३२३
२८
४२
५६
२३४
२६७
१३५
१७२
२७४
२१४
१४०
२११
१३७
३.१५
१६५
१०६
११८
३११
८२
२६
१०६
१०७
१६८
.३०५