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२-म्ब गुण पर्याय
२-द्रव्याधिकार ही समस्त लोकाकाश में व्याप्त हैं । १६५. लोक और अलोक के बीच कौन सी दीवार खड़ी है ?
लोक और अलोक वास्तव में किसी दीवार से विभाजित नहीं हैं बल्कि एक ही अखण्ड द्रव्य है। उसके जितने भाग में जीवादि पांच द्रव्य रहते हैं तथा गमनागमन करते हैं उसे लोक कहा
गया है तथा जहां वे आ जा नहीं सकते उसे अलोक कहते हैं । १६६. लोक व अलोक ये आकाश के दो खण्ड हैं ? ।
नहीं, आकाश तो एक अखण्ड द्रव्य है। लोक उसी में एक भाग या सीमा विशेष है, जिसमें कि जीवादि रहते हैं। शेष भाग को
अलोक कहते हैं। १६७. लोक व अलोक का विभाग करने वाला कौन व कैसे ?
धर्म व अधर्म द्रव्य के कारण ही लोक अलोक का विभाग है, क्योंकि आकाश के जितने भाग में ये दोनों द्रव्य हैं, उतने भाग में ही जीव व पुद्गल गमनागमन कर सकते हैं, उससे बाहर नहीं। अतः उतने भाग में ही धर्म अधर्म स्वयं तथा जीव व पुद्गल दिखाई देते हैं। काल द्रव्य भी उतने भाग में ही हैं उससे बाहर नहीं। अतः उतने भाग में ही पांचों द्रव्य दिखाई
देने से वह लोकाकाश नाम पाता है। १६८. यदि धर्म आदि द्रव्यों की स्थिति लोक के बाहर भी मान
लें तो? धर्म द्रव्य की सीमा को उल्लंघन न कर सकने से जितना बड़ा भी धर्म द्रव्य मानोगे उतना ही लोकाकाश होगा। अधर्म द्रव्य भी उतना ही बड़ा होगा क्योंकि उसके बाहर गमन पूर्वक स्थिति करने वाला कोई है ही नहीं। काल भी उतनी ही सीमा - में रहेगा, क्योंकि उसके बाहर परिणमन करने वाला कोई भी . . न होने से वहां उसकी आवश्यकता ही नहीं है। (१६६) प्रवेश किसको कहते हैं ?
आकाश के जितने हिस्से को एक पुद्गल परमाणु रोके उसे