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२-द्रव्य गुण पर्याय
२/१-सामान्य अधिकार के ही विशेष प्रकार से द्योतक हों ; जैसे ईधन में दहन शक्ति अथवा वह विशेष जो निमित्तादि मिलने पर कदाचित व्यक्त
हो तो हो अन्यथा यूं ही पड़ी रहे। ७५. पर्याय किसको कहते हैं ?
द्रव्य के उत्पन्न ध्वंसी अंश को पर्याय कहते हैं । ७६. व्यक्ति किसको कहते हैं ?
जो निरन्तर उत्पन्न होती रहे उसे पर्याय कहते हैं और जो
कदाचित उत्पन्न हो उसे व्यक्ति ; जैसे ईन्धन में दहन । ७७. धर्म किसको कहते हैं ? ।
द्रव्य का जो विशेष न गुण हो, न स्वभाव, न शक्ति, न पर्याय और न व्यक्ति, परन्तु जो द्रव्य में अपेक्षावश देखे जा सकें, धर्म कहलाते हैं, जैसे-द्रव्य का नित्यत्व अनित्यत्व आदि । गुण की अपेक्षा देखने पर द्रव्य नित्य है और पर्याय की अपेक्षा
देखने पर अनित्य । ७८. 'धर्म' शब्द की विशेषता दर्शाओ।
'धर्म' शब्द का प्रयोगक्षेत्र अत्यन्त व्यापक है, क्यों कि यह अपने उपरोक्त अर्थ के अतिरिक्त गुण, स्वभाव, पर्याय, शक्ति व व्यक्ति सबका प्रतिनिधित्व करता है । इसी लिये द्रव्य अनन्त धर्मात्मक कहा जाता है, अनंत गुणात्मक नहीं। गुण को धर्म कह सकते हैं पर धर्म को गुण नहीं। कहीं-कहीं स्वभाव, धर्म
व शक्ति समान अर्थ में प्रयोग कर दिये जाते हैं। ७६. गुण, स्वभाव, शक्ति, पर्याय, व्यक्ति व धर्म में परस्पर अन्तर
दर्शाओ। गुण में पर्याय होती है और शक्ति में व्यक्ति । इसलिये गुण सदा ही अपनी पर्याय द्वारा व्यक्त रहता है, जैसे जीव में कोई न कोई ज्ञान अवश्य व्यक्त रहता है । शक्ति की व्यक्ति कभी होती है कभी नहीं, जैसे जीव कभी चलता है कभी नहीं । गुण में पर्याय होती है, पर स्वभाव व धर्म में नहीं । वे अपेक्षावश द्रव्य में देखे मात्र जाते हैं, जैसे ज्ञानत्व व नित्यत्व की कोई अपनी स्वतन्त्र पर्याय नहीं है । यद्यपि धर्म स्वभाव व शक्ति