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२-द्रव्य गुण पर्याय
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२/१-सामान्य अधिकार १७. द्रव्य का तीसरे प्रकार से लक्षण करो।
सत् ही द्रव्य का लक्षण है। १८. सत किसको कहते हैं ?
जिसमें तीन बातं युगपत पाई जायें-उत्पाद, व्यय और ध्रोव्य । (१९) उत्पाद किसे कहते हैं ?
द्रव्यों में नवीन पर्याय की प्राप्ति को उत्पाद कहते हैं, जैसे
सोने में कुण्डल रूप पर्याय की प्राप्ति । २०. व्यय किसे कहते हैं ?
द्रव्य की पूर्व पर्याय के त्याग को व्यय कहते हैं, जैसे सोने में
कड़े रूप पर्याय का विनाश । (२१) ध्रौव्य किसे कहते हैं ?
प्रत्यभिज्ञान की कारणभूत द्रव्य की किसी अवस्था की नित्यता को ध्रौव्य कहते हैं । जैसे—कड़े व कुण्डल में स्वर्ण की
नित्यता। २२. उत्पाद व्यय ध्रौव्य में तीनों एक ही समय होते हैं या पृथक
पृथक ?
(क) यदि पूर्व व उत्तरवर्ती दो पर्यायों को लेकर देखें
तो तीनों एक साथ रहते हैं, क्योंकि घडे का व्यय, कपाल का उत्पाद और मिट्टीपने की ध्रुवता तीनों का एक ही काल है आगे पीछे नहीं । कारण कि घड़े का व्यय ही वास्तव में कपाल
का उत्पाद है। (ख) यदि एक ही किसी विवक्षित पर्याय को लेकर देखें तो उत्पाद
व व्यय का काल भिन्न है, जैसे-घड़े का उत्पाद और उसी घड़े का विनाश दोनों एक काल में नहीं हो सकते । मिट्टी की
ध्रुवता तो दोनों अवस्थायों में साथ है । २३. एक ही द्रव्य में उत्पाद व्यय व प्रौव्य ये तीन विरोधी बातें
एक साथ कैसे रह सकती हैं ? यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि ये तीनों एक ही बात में नहीं माने जा रहे हैं । उत्पाद किसी अन्य बात का होता है, व्यय