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७-स्याद्वाद
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१-वस्तुस्वरूपाधिकार है वह कल को पट बन जाता है और जो घट है वही कल को घट बन बैठता है। वर्तमान में तो इनमें परस्पर भिन्नता अवश्य है, परन्तु आगे जाकर वह बनी ही रहे यह निश्चय नहीं। इसलिये पुद्गल स्कन्धों में अत्यन्ताभाव नहीं अन्योन्याभाव है। अथवा यों कहिये कि त्रिकाली द्रव्य न होने से स्कन्धों
में अत्यन्त भाव घटित नहीं होता। ४७. दो परमाणुओं में परस्पर कौन सा अभाव है ?
त्रिकाल सत्ताधारी मौलिक द्रव्य न होने से उनमें अत्यन्ता
भाव है। ४८. परमाणुओं में अत्यन्ताभाव और स्कन्धों में अन्योन्याभाव ऐसा
क्यों ? परमाणु त्रिकाली द्रव्य हैं और स्कन्ध द्रव्य पर्याय । स्कन्ध बन जाने पर भी परमाणुओं की स्वाभाविक सत्ता अक्षुण्ण रहती है, परन्तु स्कन्धों की सत्ता स्थायी नहीं। एक परमाणु बदल कर दूसरे परमाणु रूप नहीं हो जाता, परन्तु एक स्कन्ध बदलकर दूसरे स्कन्ध रूप हो जाता है, जैसे लकड़ी जलकर
कोयला हो जाती है। ४६. अन्योन्याभाव केवल पुद्गल स्कन्ध में ही लागू होता है ऐसा
क्यों ? क्योंकि वे ही बदलकर एक दूसरे रूप हो सकते हैं, अन्य द्रव्य
नहीं। ५०. द्रव्य गुण पर्याय में कौन कौन अभाव घटित होता है ? ।
द्रव्य में अत्यन्ताभाव सभी अर्थ पर्यायों में प्रागभाव व प्रध्वंसाभाव, पूदगलातिरिक्त द्रव्य पर्यायों में भी प्रागभाव व प्रध्वं
साभाव, पूदगल की द्रव्य पर्याय रूप स्कन्ध में अन्योन्याभाव । ५१. स्कन्ध रूप पर्यायों में प्राग प्रध्वंस अभाव लागू नहीं होते ?
स्वभाव व्यञ्जन पर्याय में लागू किये जा सकते हैं पर स्कन्धों में नहीं।