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६-तत्वार्थ
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१-नव पदार्थाधिकार निजरा प्रयोजनीय है। मविपाक निर्जरा के साथ नवीन बन्ध
होता रहने से वह मोक्षमार्ग में प्रयोजनीय नहीं है। ४१. सविपाक व अविपाक निर्जरा किनको होती है ?
स्वकालपाक होने से सविपाक निर्जरा सर्व जीवों को सामान्य रूप से होती रहती है; और तप साध्य होने से अविपाक
निजंग तपस्वी योगियों व साधकों को ही होती है । ४२. मोक्ष तत्व किसको कहते हैं ?
कर्मों के सम्पूर्णतया छूट जाने को मोक्ष कहते हैं । ४३. मोक्ष कितने प्रकार की होती है ?
दो प्रकार की-भाव मोक्ष, द्रव्य मोक्ष । ४४. भाव मोक्ष किसको कहते हैं ?
जीव के गगढपादि भाव कर्मों से या वासनाओं से मुक्त हो
जाने को भाव मोक्ष कहते हैं। इसे जीवन भुक्ति भी कहते है । ४५. द्रव्य मोक्ष किसको कहते हैं ?
भाव मोक्ष के निमित्त से द्रव्य कर्म व नोकर्म का जीव से पृथक
हो जाना द्रव्य मोक्ष है । इसे विदेह मुक्ति भी कहते हैं। ४६. द्रव्य व भाव मोक्ष किनको होती है ?
भाव मोक्ष तेरहवें गुणस्थानवर्ती अहल भगवान को होती है और द्रव्य मोक्ष चौदहवें गुणस्थान के अन्त में सिद्ध लोक में
जा विराजने वाले सिद्ध भगवन्तों को होती है। ४७. पदार्थ कितने हैं ?
नौ हैं. - सात तो उपरोक्त तत्व तथा पुण्य, पाप । ४८ पुण्य किसको कहते हैं ?
शुभ कर्म को पुण्य कहते हैं। ४६. पुण्य कितने प्रकार का होता है ?
दो प्रकार का-भाव पुण्य और द्रव्य पुण्य । ५०. भाव पुण्य किसे कहते हैं ?
जीव की मन वचन काय की शुभ प्रवृत्ति को भाव पुण्य कहते