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४-भाय व मार्गणा
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२- मार्गणाधिकार
(२०) भावेन्द्रिय किसको कहते हैं ?
लब्धि व उपयोग को भावेन्द्रिय कहते हैं। (२१) लब्धि किसको कहते हैं ?
ज्ञानावरण कर्म के क्षयोपशम को लब्धि कहते हैं। (२२) उपयोग किसको कहते हैं ?
क्षयोपशम के हेतु से चेतना के परिणाम विशेष को उपयोग
कहते हैं। २३. पहिले उपयोग का लक्षण कुछ और किया रे ?
ठीक है। वहां उपयोग-सामान्य का प्रकरण होने से उस का लक्षण चैतन्यानुविधायी परिणाम किया है, क्योंकि ज्ञान, दर्शन सम्यक्त्व, चारित्रादि सभी में वह अनुस्यूत है । यहां इन्द्रिय का प्रकरण होने से उसका विशेष लक्षणकिया है जो केवल इन्द्रिय ज्ञान में ही पाया जाता है अन्य में नहीं । २४. लब्धि व उपयोग में क्या अन्तर है ?
लब्धि शक्ति सामान्य का नाम है और उपयोग उसकी विशेष पर्याय का । कर्म के क्षयोपशम से जानने की जितनी शक्ति जीव को प्राप्त होती है उसे लब्धि कहते हैं। उस लब्धिका जितना भाग किसी ज्ञेय को जानने के लिये इन्द्रिय के प्रति उपयुक्त
होता है उसे उपयोग कहते हैं। (२५) इन्द्रियों के कितने भेद हैं ?
पांच हैं-स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्ष , करण । (२६) स्पर्शनेन्द्रिय किसको कहते हैं ?
जिसके द्वारा आठ प्रकार के स्पश का ज्ञान हो उसको स्पर्श
नेन्द्रिय कहते हैं। (२७) रसनेन्द्रिय किसको कहते हैं ?
जिसके द्वारा पाँच प्रकार के रस का ज्ञान हो उसको रसनेन्द्रिय
कहते हैं। (२८) घ्राणेन्द्रिय किसको कहते हैं ?
जिसके द्वारा दो प्रकार की गन्ध का ज्ञान हो उसको घ्राणेन्द्रिय कहते हैं।