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४/२ मार्गणाधिकार
१. जीव विषय में कितनी प्ररूपणायें होती हैं ?
बीस होती हैं-गुण स्थान, जीव समास, प्राण, संज्ञा, उपयोग,
चौदह मार्गणायें। २. गुणस्थान, जीवसमास, प्राण व उपयोग क्या ?
(क) गुणस्थान की प्ररूपणा के लिये आगे पृथक अध्याय है। (ख) जीव समास के लिये देखो आगे अधिकार नं०३ । (ग) प्राण पहले अध्याय २ अधिकार ४ में कह दिये गये। (घ) उपयोग सामान्य तो पहले अध्याय २ अधिकार ४ में कहा
गया और विशेष रूप से पुनः इन्द्रिय मार्गणा में कहा
जायेगा। (३) संज्ञा किसको कहते हैं ?
अभिलाषा को संज्ञा कहते हैं। (४) संज्ञा के कितने भेद हैं ? ___चार हैं-आहार, भय, मैथुन, परिग्रह । (५) मार्गणा किसको कहते हैं ?
जिन जिन धर्म विशेषों से जीव का अन्वेषण किया जाये उन
उन धर्म विशेषों को मार्गणा कहते हैं। (६) मार्गणा के कितने भेद हैं ? .
चौदह हैं-गति, इन्द्रिय, काय, योग, वेद, कषाय, ज्ञान, संयम,
दर्शन, लेश्या, भव्यत्व, सम्यक्त्व, संज्ञित्व, आहारकत्व । (७) गति किसको कहते हैं ?
गतिनामा नामकर्म के उदय से जीव की पर्याय विशेष को गति कहते हैं।