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२-म्य गुण पर्याय
६-अन्य विषयाधिकार
४७. कार्य किसे कहते हैं ?
द्रव्य की या गुण की पर्याय को उसका कार्य कहते हैं । ४८. कार्य कितने प्रकार के होते हैं ?
दो प्रकार के सामान्य व विशेष । ४६. सामान्य कार्य किसको कहते हैं ?
प्रत्येक द्रव्य में प्रतिक्षण जो स्वाभाविक परिणमन होता रहता है वही सामान्य कार्य है। अर्थात स्वभाव अर्थ व व्यञ्जन पर्याय सामान्य काय है, क्योंकि इसके बिना विशेष कार्य अर्थात
विभाव पर्याय हो नहीं सकती। ५०. सामान्य कार्य किसमें होता है ?
शुद्ध व अशुद्ध सभी द्रव्यों में होता है । ५१. अश द्ध द्रव्य में स्वभाव पर्याय रूप सामान्य कार्य कैसे
सम्भव है ? परिणमन प्रत्येक द्रव्य में ही होता है, पर अशुद्ध द्रव्यों की स्थूल अशुद्धि पर्यायों में अन्तर्लीन रहने से वह वहां प्रतीति में
नहीं आता अथवा प्रधान नहीं होता है । ५२. सामान्य कार्य कितने प्रकार का होता है ?
दो प्रकार का परिणमन व परिस्पन्दन । ५३. सामान्य कार्य में किस प्रकार के निमित्त की आवश्यकता
होती है ? केवल साधारण निमित्त की। तहां परिणमन में काल द्रव्य
और परिस्पन्दन में धर्मास्तिकाय साधारण निमित्त हैं। ५४. विशेष कार्य किसको कहते हैं ?
विशेष प्रकार से व्यक्त अशुद्ध या विभाव पर्याय विशेष कार्य
हैं;-जैसे अग्नि के संयोग से जल ऊष्णता। ५५. विशेष कार्य कितने प्रकार के हैं ?
चार प्रकार-स्कन्ध रूप समान जातीय विभाव व्यञ्जन पर्याय, मनुष्यादि रूप असमान जातीय विभाव व्यञ्जन पर्याय