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२-द्रस्य गुण पर्याय
४-गुनाधिकार (४. श्रुत ज्ञान) (६२) श्रुत ज्ञान किसे कहते हैं ?
मति ज्ञान से जाने हुए पदार्थ से सम्बन्ध लिये हुए किसी दूसरे पदार्थ के ज्ञान को श्रत ज्ञान कहते हैं। जैसे घट शब्द सुनने के अनन्तर उत्पन्न हआ कम्बुग्रीवादि रूप घटका ज्ञान (अथवा किसी व्यक्ति की आवाज सुनकर बिना देखे ही उस व्यक्ति
का ज्ञान)। ६३. श्रुत ज्ञात के कितने भेद हैं ?
तीन भेद हैं -हिताहित ज्ञान, शब्द ज्ञान व कल्पना ज्ञान । ६४. हिताहित रूप भुत ज्ञान किसे कहते हैं ?
किसी पदार्थ को मत्तिज्ञान द्वारा जानकर 'यह मेरे लिये इष्ट है अथवा अनिष्ट, मैं इस विषय को प्राप्त करू अथवा त्याग करू, इत्यादि प्रकार का जो निर्णय अन्दर में होता है उसे हिताहित ज्ञान कहते हैं। जैसे-सुगन्धि मात्र को नासिका द्वारा मति ज्ञान से ग्रहण करके, चींटी 'खाद्य' मिष्टान्न है' यह न जानती हई भी 'यह मेरा कोई इष्ट पदार्थ है' इतना मात्र जानकर, उस ओर चल देती है और अग्निको 'यह मेरे लिये कुछ अनिष्ट है' ऐसा जानकर वहां से हट जाती है। शब्द ज्ञान किसे कहते हैं ? कर्णेन्द्रिय से या नेत्रेन्द्रिय से मतिज्ञान द्वारा कोई शब्द सुन
कर या पढ़ कर उसके वाच्य का ज्ञान हो जाना शब्द ज्ञान है। ६६. शब्द जान कितने प्रकार का होता है ?
दो प्रकार का-द्रव्य श्रुत व भाव श्रुत । ६७. द्रव्य अत किसे कहते हैं ? ।
शास्त्रों का अथवा किन्हीं पुस्तकों का अथवा केवल सुने व पढ़े शब्दों माला का ज्ञान द्रव्य श्रुत कहलाता है, जैसे अमुक
शास्त्र में यह बात लिखी है और अमुक व्यक्ति यह कहता था ... इत्यादि। . .
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