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२-द्रव्य गुण पर्याय ११२ ४-जीव गुणाधिकार (३५) पारमार्थिक प्रत्यक्ष के कितने भेद हैं ?
दो भेद हैं-एक विकल प्रत्यक्ष दूसरा सकल प्रत्यक्ष । (३६) विकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ? ।
जो रूपी पदार्थों को बिना किसी की सहायता के स्पष्ट जाने । (३७) विकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष के कितने भेद हैं ?
दो हैं --एक अवधि ज्ञान दूसरा मनःपर्याय ज्ञान। (३८) सकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ?
__ केवल ज्ञान को। ३६. प्रत्यक्ष व परोक्ष में क्या अन्तर है?
विषय के आकार की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं। विशदता व अविशदता में अन्तर है। प्रत्यक्ष विशद होता है और परोक्ष अविशद । जैसे अन्धे को गुलाब के फूल का ज्ञान होना अविशद है और नेत्रवान को विशद ।
(३. मति ज्ञान) (४०) मति ज्ञान किसको कहते हैं ?
इन्द्रिय व मन की सहायता से जो ज्ञान हो उसे मति ज्ञान
कहते हैं (जैसे आंख से रूप का ज्ञान)। ४१. मति ज्ञान किसको होता है ?
एकेन्द्रिय से संज्ञी पंचेन्द्रिय तक के सब जीवों को अपने अपने योग्य मतिज्ञान होता है। अपने अपने योग्य से क्या समझे ? उपलब्ध इन्द्रियों विषयक ही ज्ञान होता है अन्य इन्द्रियों
जनित नहीं। (४३) मति ज्ञान के कितने भेद हैं ?
चार है--अवग्रह, ईहा, अवाय, धारणा। (४४) अवग्रह किसे कहते हैं ?
इन्द्रिय और पदार्थ के योग्य स्थान में (मौज द जगह में) रहने पर, सामान्य प्रतिभासरूप दर्शन के पीछे, अवान्तर सत्ता