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। श्रीवीतरागाय नमः जैनसिद्धान्तसंग्रह
प्रथम खंड
(१) णमोकार मंत्र।
गाथा। मोरहताण। णमो सिदोणाणमो आयरियाणं । मो उबझायाणं, णमो लोए सव्यसाहगं। स णमोकार मंत्रमें पांच पद, पैंतीस अक्षर, अठारन मात्रा है। .
" (२) णमोकार मंत्रका माहात्म्य । महामंत्रका जाप किये, नर सब सुख पावै । अतिशयोक्ति इसमें, रंचक भी नहीं दिखावै ॥ देखो ! शून्यविवेक' सुभग ग्वाला भी आखिर । हुआ सुदर्शन कामदेव, इसके प्रमावकर ॥
(३) पञ्च परमेष्ठियों के नाम । अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, सर्वसाधु । उही असि आ 3 सा । नमः सिद्धेभ्यः ॥ नोट-अ सि आउ नाम पञ्च परमेष्ठीका है ।