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जनसिद्धांतसंग्रह ।
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(१०) भोजनोंकी प्रार्थनाएं |
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( सबेरेके भोजन समयकी इष्ट प्रार्थना ) परमेष्टी सुमरण कर हम सब बालकगण नित उठा करें। स्वस्थ होय फिर देव धर्म गुरुकी स्तुति सब किया करें | करना हमें. आज क्या क्या है यह विचार निज काज करें। कायिक शुद्धि क्रिया करके फिर जिन दर्शन स्वाध्याय करें ॥१॥ मौन धारकर तोषित मनसे क्षुधा वेदना उपशम हित । विकर्मके क्षयोपशम से भोजन प्राप्त करें परमित |
हे जिन हो हित कर यह भोजन तनमन हमरे स्वस्थ रहें । मानस तमकर "दीप" उमंगसे निज परहितमें मगन रहें ॥ २ ॥ ( सांझ के भोजन समयकी इष्ट प्रार्थना ) जय श्री महावीर प्रभुकी कह अरु निम कर्तव पूरण कर । संध्या प्रथम मौन धारणकर भोजन करें शांत मनकर || परमित भोजन करें ताकि नहिं मालस अरु दुःस्वप्न दिखें । "दीप" समयपर प्रभु सुमरण कर सोधें जर्गे स्वकार्य लखें ॥
(११) नरकोंके दोहे |
'जनम थान सब: नरकमें, अन्ध अधोमुख जौन । घंटाकार योनावनी, दुसहवासदुख मौन ॥ १ ॥ तिनमें उप नारकी, तळं सिर ऊँपर पांव । विषमवज्ञ कंटकमई, परे भूमिपर आय ॥ २ ॥ जो विषैक बीळूसहंस, लगे देह दुख होय ।