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जैन सिद्धांतसंग्रह ।
(२०) मक्सीपार्श्वनाथ पूजा ।
दोहा - श्री पास फमेशजी, शिखर शीर्ष शिवचार | यहां पूजते मावसे, थापनकर त्रयवार i
ॐ ह्रीं श्रीमक्सीपार्श्व जिन अत्र अवतर अवतर सम्वौषटाहाननं । मत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं ॥ अत्र मम सन्नहितो भव भव वपट् सन्निविकरणं ॥
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अथाष्टकं ।
लै निर्मल नीर सुखान, प्राशुक ताहि करों ।
मन वच तन कर वर आन, तुम ढिग धार घरों ॥ श्री मक्सी पारसनाथ, मन बच ध्यावत हों ।
मम जन्म जरामृत्यु नाथ, तुम गुण गावत हों ॥ ॐ ह्रीं श्री मक्ष्मीपाश्र्वनाथनिनेन्द्रेभ्यो मलं ॥ १ ॥ पिस च दनसार सुवास, केसर ताहि मिले ।
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मैं पूजों चरण हुकास, मनमें आनन्द ले ||
श्री मक्सी पारसनाथ, मन चच ध्यावतहों ।
मम मोहाताप विनाश, तुम गुण गावत हों | सुगंधं ॥ २ ॥ सन्दुक उज्ज्वक अति आन, तुम ढिग पूज्य घरों । मुक्ताफलके सन्मान. लेकर पूम करों ॥
श्रीमक्सी पारसनाथ, मन वच घ्यावत हों ।
संसार वास निरवार, तुम गुण गावत हों ॥ अक्षतं ॥ १ ॥ ले
- सुमन विविधि एव पूजों तुम चरणा । -
हो काम विनाश देव, काम व्यथा हरणा ॥