________________
Amwww
wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
३५३]. अनसिद्धांतसंग्रह । - (१८) सरस्वतीपूजा।। दोहा-मनम नरा मृतु छय करै, हरे कुनय जड़रीति । __ भवसागरसों के तिरे, पर्ने मिनवप्रीति ॥१॥
ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भबसरस्वतिवाग्वादिनि । अत्र अवतर भवतर । संवोषट् । मत्र तिष्ठ तिष्ठ : मन मम सन्निहितो भव भव । वषट् । छोरोदधि गंगा, विमल तरंगा, सलिल अभंगा, मुखसंगा। परि कंचन झारी, धार निकारी, वृषा निवारी, हित चंगा॥ . तीर्थकरकी ध्वनि, गणधरने मुनि, अंग रचे चुनि, ज्ञानमई । -सो मिनवरवानी, शिवमुखदानी, त्रिभुवन मानी, पूज्य भई ॥५॥
ॐ ही श्रीनिनमुखोद्भवासरस्वतीदेव्यै मकं ॥१॥ करपूर मंगाया, चंदन भाया, केशर लाया, रंग भरी। शारदपद बंदौं, मन ममिनदौं, पापनिकदौं, दाहं हरी|वी ॥२॥
ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवसरस्वतीदेव्यै चन्दनं निर्वपामीति । भुखदासकमोद, धारकमोद, मतिमनुमोदं, चंद्रसमं । .. .. बहुमक्ति बढ़ाई, कीरति गाई, होहु सहाई, मात मम ॥ तीर्थ०॥३॥ ___ॐ ह्रीं श्रीनिनमुखोद्भवसरस्वतीदेव्यै पक्षवान् निर्वपामिा| महुशनसुवासं, विमलपकाश, आनंदरासं, काय धरै । मम काम मिटायौ, शील बढ़ायौ, सुख उपनायौ, दोष हरैः॥तीर्थ ॥४॥ __ॐ ह्रीं श्रीमिनमुखोद्भवसरस्वतीदेव्यै पुष्पं निर्वामि-100
पकवान बनाया, बहुत काया, सब विध माया, मिष्ट महां । ____ 'पूचं युति गाऊं, प्रीति बढ़ाऊं क्षुषा नशा, हर्षे लहा तीर्थ ॥१॥