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जैनसिद्धांतसंग्रह। nimammmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmimmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm धर्मनिष्ठं होकर राजा भी, न्याय मजाका किया करे। रोग मरी दुर्भिस न फैले, मजा शान्तिसे जियां करे। . परम अहिंसा-धर्म जगतम, फैले सर्वहित किया करे ॥१०॥ फैले प्रेम परस्पर जगमें, मोह दूर पर रहा करे। . अमिय कटक कठोर शब्द नहिं कोई मुखसे कहा करे ।। , बनकर सब 'युगवीर' हृदयसे देशोन्नतिरत रहा करें। वस्तुखरूप विचार खुशीसे, सब दुख संकट सहा करें.॥११॥
(५) चौवीस तीर्थंकरों के नाम । १ श्री ऋषभनाथ, २ श्री अजितनाथ, ३ श्री संभवनाथ, ४ श्री अभिनन्दननाथ: ५ श्री सुमतिनाथ, ६ श्री पद्मप्रम, ७ श्री सुपार्श्वनाथ, ८ श्री चन्द्रप्रभ, ९श्री पुष्पदन्त, १० श्री शीतलनाथ, १ श्री श्रेयांसनाथ, १२ श्री वासुपूज्य. १३ श्री विमलनाथ, १४ श्री अनन्तनाथ, १५ श्री धर्मनाथ, १६ श्रीशान्तिनाथ, १७ श्री कुन्युनाथ, १८ श्री अरनाथ, १९ श्री मल्लिनाथ, २० श्री मुनिसुव्रतनाथ, २१ श्री नमिनाथ, २२ श्री नेमिनाथ, २३ श्री पार्श्वनाथ, २४ श्री वर्द्धमान;