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स्वसमय और परसमय पुद्गल कर्म-जानावरणादिक के प्रदेशों में स्थित, संसारी जीव सदैव रहता है अतः उसे परसमय कहते हैं ।
जो सिद जीव हैं वे ज्ञानावरणादिक आठ पुद्गल कमों का नाश करने से मात्र दर्शन शान चारित्र में स्थित होते हैं, तथापि वे स्वसमय कहे जाते हैं। ___ "हे भव्य, जो जीव दर्शन, ज्ञान, चारित्र में स्थित हो रहा है, उसे निश्चय से स्वसमय जानो और जो जीव पुद्गल कर्म के प्रदेशों में स्थित है उसे परसमय जानो"।
तिलोग्राम-सागर २४-१२-७२
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