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जैन कयामाला . भाग ३१. गुरुदेव । मुझे राज्य मिलेगा या नही ? मुनिश्री का उत्तर था
तुम्हारी पुत्री ग्यामा के पति के प्रभाव से तुम्हे राज्य की प्राप्ति होगी। ___-कौन होगा. श्यामा का पति ? कैसे पहचानूंगा मैं उसे ? -~-प्रन्न उद्बुद्ध हुआ।
-जलावर्त सरोवर के समीप जो पुरुप एक हाथी पर सवार होकर भुजाओ से ही उसे निर्मद कर दे, वही ग्यामा का पति होगा। -उत्तर मिला।
उसी दिन से मेरे पिता यही एक नगरी बसा कर रहने लगे। साथ ही जलावर्त सरोवर के किनारे कुछ विद्यावर तैनात कर दिये। उनमे से ही दो विद्याधर आपको ससम्मान यहाँ लाये थे।
एक वार इसी स्थान पर धरणेन्द्र, नागेन्द्र और विद्याधरो की एक सभा हुई उसमे यह तय हुआ कि जो पुरुप साधुओ के समीप बैठा हो अथवा जिसके साथ स्त्री हो उसे मारने वाले विद्याधर की सभी विद्याएँ नष्ट हो जायेगी।
हे स्वामी | इसी कारण मैंने यह वरदान माँगा है कि 'मैं आपसे कभी अलग न होऊँ।' क्योकि मुझे भय है कि आपको अकेला पाकर कही अगारक मार न डाग्ने ।
वसुदेव कुमार ने श्यामा की इच्छा स्वीकार कर ली। दुख के बाद सुख और सुख के बाद दु ख सृष्टि के इस नियम के अनुसार एक दिन अवसर पाकर सोते हुए वसुदेव कुमार को अगारक ले उडा। वसुदेव की नीद खुली तो उन्होने देखा कि 'ग्यामा उन्हे आकाश मार्ग से उडाये लिए जा रही है ।' वे कुछ सोच-समझ पाते तव तक श्यामा की आवाज उनके कानो मे पडी 'खडा रह, खडा रह।'
दो श्यामा देखकर वसुदेव कुमार सभ्रमित हो गये। पहली श्यामा ने दूसरी श्यामा के तलवार से दो टुकडे कर दिये। अव दो श्यामाएँ