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जैन क्यामाला भाग ३१
तुम्हारा पुत्र वसुदेव वना है । पूर्वजन्म के निदान के कारण ही यह
स्त्रियों को इतना प्रिय है । राजा अधकवृष्णि को मुनिराज के वचन सुन कर वैराग्य हो आया । उसने अपने बडे पुत्र समुद्रविजय को राज्य पद देकर स्वय दीक्षा ग्रहण कर ली ।
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अधकवृष्णि ने मुनि पर्याय धारण करने के पञ्चात् घोर तप किया । निरतिचार ज्ञान सयम की आराधना करते हुए वे दीर्घकाल तक पृथ्वी पर विचरते रहे ।
केवली होकर उन्होंने देह त्यागी और शाश्वत सुख मे जा विराजे ।
- वसुदेव हिडी, श्यामा-विजया लभक -त्रिषष्टि शलाका० ८१२
- उत्तरपुराण, पर्व ७० श्लोक २००-२१४
• उत्तर पुराण के
अनुमार
2 नदिपेण के पिता का नाम सोमशर्मा था और मामा का नाम या देवशर्मा |
२ नट का तमाशा देखने गया तो वहाँ चलवानी के ममूह भीड को पान कर सका । लोगो ने ताली बजाकर उसका तिरस्कार किया और तब वह आत्महत्या के लिये गया । (लोक २०३-२०४)
३ मुनि का नाम सुस्थित की बजाय द्रुमपेण है । (श्लोक २०४ )
वसुदेव हिंदी मे -
नदिपेण के पिता का नाम स्वन्दिल हे और इसे पलाशपुर ग्राम का निवामी बताया है ।
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