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___ इसी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र की मथुरा नगरी पर राजा वसु के पुत्र बृहद्ध्वज के पश्चात उसके वश के अनेक राजाओ ने राज्य किया।
बहुत समय बाद उसी वंश मे यदु नाम का प्रतापी राजा हुआ। यदु के सूर्य के समान एक तेजस्वी पुत्र हुआ शूर और शूर राजा के शौरि और सुवीर नाम के दो पुत्र हुए। राजा शूर ने शौरि को राज्य पद और सुवीर को युवराज पद देकर दीक्षा ग्रहण कर ली।
गौरि ने मथुरा का राज्य तो अनुज सुवीर को दिया और स्वय कुशार्त देश चला गया। वहाँ उसने शौर्यपुर नाम की एक नई नगरी वसाई।
राजा शौरि के पुत्र का नाम था अधकवृष्णि और सुवीर का पुत्र था भोजवृष्णि । सुवीर ने भी अपने पुत्र भोजवृष्णि को मथुरा का राज्य दिया और स्वय सिधुदेश मे जाकर सौवीरपुर नामक एक नई नगरी बसा कर रहने लगा। राजा शौरि अपने पुत्र अधकवृष्णि को राज्य देकर सुप्रतिष्ठ मुनि के पास प्रवजित हुआ और तप करके मोक्ष गया।
१ यह वसु प्रसिद्ध शुक्तिमती नगरी का स्वामी था। इसी ने हिंसक यज्ञो के वारे मे पर्वत-नारद विवाद मे पर्वत का पक्ष लिया था। असत्य कथन के कारण देवताओ ने इसकी स्फटिक आमन वेदिका र्ण कर दी और यह
पृथ्वी पर गिर कर मृत्यु को प्राप्त हुआ। २ बृहद्ध्वज राजा वसु का दसवाँ पुत्र था। यह पिता और अपने आठ बडे
भाइयो की मृत्यु से भयभीत होकर मथुरा भाग आया था।