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श्रीकृष्ण-क्या-प्रद्यन्न के पूर्वभव
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प्रद्युम्न का हरण वह कृष्ण के हाथ से नही करता वरन् अन्तःपुर के सभी लोगो को मोह निद्रा में सुलाकर हरण कर लेता है । खदिर नाम के वन में तक्षक नाम की शिला के नीचे रख कर चल देता है।
(श्लोक ५१-५२) विद्याधर का नाम कालसभव (कालसवर के स्थान पर) और उनकी नानी का नाम कवनमाला (कनकमाला की वजाय) बताया है। (श्लोक ५४) बालक का नाम देवदत्त (प्रद्य म्न के स्थान पर) रखा।
(श्लोक ६०)