________________
कृष्ण ने कस के मस्तक पर पैर रखकर उसे मार डाला और केश पकडकर सभा मंडप से बाहरे फेक दिया । मानो दूध मे से मक्खी निकाल कर फेक दी ।
1
मथुरापति कस ने पहले से ही जरासंध के सैनिक बुला रखे थे । कस की मृत्यु से कुपित होकर वे कृष्ण-बलराम से युद्ध करने को आगे बढे ।
अव तक मल्लयुद्ध का क्रीडास्थल प्राणघाती युद्ध का रणस्थल वन चुका था। दो निहत्थे भाइयो पर हजारो सैनिक अस्त्र-शस्त्र लेकर टूट पडे – यह समुद्रविजय आदि को सहन हो सका । जरासन्ध के सैनिको के समक्ष दशार्ह आगे वढ े । उन्हे देखते ही जरासन्ध के सैनिक भाग खड़े हुए ।
इस युद्धमय वातावरण से भयभीत होकर दर्शक भी अपने-अपने स्थानों को खिसक गए। सभा मंडप मे नीरव गाति छा गई। तभी वसुदेव ने अनावृष्टि को कृष्ण और वलराम को घर ले जाने की आज्ञा दी ।
समुद्रविजय आदि सभी भाई वसुदेव के घर पहुँचे और वहाँ सभी एकत्र होकर वैठे । वसुदेव ने अपने आवे आमन पर बलराम को बिठाया और गोदी मे कृष्ण को । पुत्रो को हृदय से लगाने पर वसुदेव की आँखे भर आई । उनकी आँखो से अवारा प्रवाहित होने लगी । वे वारचार कृष्ण मस्तक का चुवन करने लगे ।
— यह क्या ? - आश्चर्य चकित होकर वसुदेव के वडे भाइयो ने पूछा ।
वमुदेव ने अतिमुक्त मुनि की भविष्यवाणी से लेकर अब तक की घटनाएँ विस्तार से सुना दी । कृष्ण वसुदेव का पुत्र है' यह जानकर सभी हर्पित हुए और उन मवने कृष्ण को अपने उत्मग मे विठाकर प्यार किया और बलराम की वारम्बार प्रशसा की ।
उसी समय देवकी ने नकटी पुत्री के साथ प्रवेश किया । वह कृष्ण को अपने अक मे विठाकर प्यार करने लगी । वह कभी एक उत्सग मे