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होने लगा और उसने अपने वन्धन ढीले कर दिये । इसके पश्चात् कृष्ण अपने चरण ने मर्प के फणो पर आघात करने लगे । सर्प पीडित होकर अचेत हो गया।
अपने पति को प्राण रक्षा के लिए नाग-पत्नियो ने श्रीकृष्ण ने प्रार्थना की। नाग ने भी सचेत होकर दया की भीख मांगी। तब कृष्ण ने उसमे कहा-'तुम रमणक द्वीप वापिस जाओ। अव तुम्हारा शरीर मेरे चरण-चिन्हो से अकित हो गया है इसलिए गरुड तुमको नहीं खाएंगे।'
___ कालिय नाग अपने परिवार महित रमणक द्वीप चला गया और यमुना का जल शुद्ध हो गया ।
(श्रीमद्भागवत, स्कन्ध १०, अ० १६, श्लोक, १-६७)