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इनके अतिरिक्त प्राकृत भाषा मे उपदेशमाला प्रकरण, कुमारपाल पडिवोह (कुमारपाल प्रतिवोध) आदि मे भी श्रीकृष्ण का चरित्र वणित हुआ है।
प्राकृत के अतिरिक्त सस्कृत, अपभ्र श और देशज भाषाओ मे जैनाचार्यों एक लेखको (दिगम्बर और श्वेतावर दोनो) ने ही कृष्ण चन्त्रि से सवधित रचनाएँ की है । इनमे से प्रमुख निम्त है .---
(१) हरिवंश पुराण-यह दिगम्बर आचार्य जिनमेन की रचना है । इसमे श्रीकृष्ण का वर्णन विस्तारपूर्वक है।
(२) उत्तर पुराण-यह भी दिगम्बर आचार्य गुणभद्र की रचना है। इसके ७१, ७२, ७३वे पर्व में कृष्ण-कथा वणित की गई है।
(३) प्रद्युम्न चरित-महासेनाचार्य ने इसमे कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के पराक्रम का वर्णन किया है।
(४) पाडव-पुराण-वह भट्टारक शुभचन्द्र की कृति है।
(५) त्रिषष्टि शनाका पुरुष चरित्र~यह कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र की महत्वपूर्ण कृति है । इसके आठवे पर्व मे कृष्ण चरित्र विस्तृत रूप से क्रमबद्ध आया है।
इनके अतिरिक्त भट्टारक सकलकीति का 'हरिवंश पुराण' और 'प्रद्युम्न चरित्र', भट्टारक श्रीभूपण का 'पाडव पुराण', 'हरिवंशपुराण', महाकवि वाग्भट्ट का 'नेमि निर्वाण', ब्रह्मचारी नेमिदत्त का 'नेमिनाथ पुराण', भट्टारक धर्मकीर्ति का 'हरिवंश पुराण' आदि दिगम्बर आचार्यों की महत्वपूर्ण रचनाएँ है ।
श्वेताम्बर आचार्यों मे वाग्भट्ट का 'नेमि निर्वाण काव्य', रत्नप्रभ सूरि का 'अरिष्टनेमि चरित्र', विजयसेन सूरि का 'नेमिनाथ चरित्र', कीर्ति राज का 'नेमिनाथ चरित्र' (महाकाव्य), विजयगणी का अरिष्टनेमि चरित्र', गुण-- विजयगणी का 'नेमिनाथ चरित्र, वज्रसेन के शिप्य हरि का 'नेमिनाथ चरित्र', तिलकाचार्य का 'नेमिनाथ चरित्र' आदि अनेक ग्रन्य है जिनमे कृष्ण का जीवन चरित्र वर्णित है ।।
धनजय का द्विसधान अथवा 'राघव पाडवीय महाकाव्य' एक विशिष्ट - रचना है जिसमे प्रत्येक पद्य के दो अर्थ निकलते हैं-- एक रामायण (राम)