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जैन कथामाला . भाग ३२ मार डाला, गाडी तोड दी और वासुदेव को कक्ष के अन्दर सुखपूर्वक सुला आए।
नद ने आकर जब ऑगन मे यह ताडव देखा तो स्तभित रह गये-- एक गाडी टूटी पडी है और दो भीमकाय युवतियाँ मृत । उनकी अनुपस्थिति मे कौन कर गया यह सव ? यशोदा को आवाज लगाई तो उत्तर न मिला । धडकते हृदय से अन्दर प्रवेश किया ओर नन्हे से कृष्ण को खोजने लगे। ___ कृष्ण चुपचाप अपनी गय्या पर सो रहे थे। नद ने लपक कर उन्हे उठा लिया। ऊपर से नीचे तक सारे शरीर को टटोल कर देखने लगे-कही कोई चोट तो नही आई ? किन्तु कृष्ण के अक्षत शरीर को देखकर आश्वस्त हुए । पुत्र को गोद मे लिए बाहर निकल कर सेवको को आवाज दी ।
-कहाँ चले गए थे, तुम सब ? यह ताडव किसने किया है ? सेवको ने जो वहाँ की स्थिति देखी तो वे भी हतप्रभ रह गए । उनसे कुछ कहते नही बना । नद ने ही कहा
-आज मेरा पुत्र भाग्यवल से ही जीवित बचा है। एक गोप ने आगे बढकर कहा ---
-स्वामी ! आपका पुत्र वडा बलवान है । इस अकेल ने ही इन ___ दोनो स्त्रियो के प्राण ले लिए और गाडी चकनाचूर कर दी।
- नद चकित से पुत्र का मुख देखने लगे। __उसी समय नदरानी यशोदा ने प्रवेश किया और हतप्रभ सी देखने लगो। 'हाय मै मर गई' कहकर उसने कृष्ण को नद की गोद से झपटसा लिया और उनके शरीर पर हाथ फेर-फेर कर देखने लगी । नन्द ने उलाहना दिया- .
-अव तो वडा प्यार आ रहा है। जब अकेली छोड गई तब ? देखो कैसी भयकर विपत्ति आई थी इस पर?