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प्रस्तावना।
हमने आजतक जितनी पुस्तके प्रकाशित कर "जैन संसार" के सन्मुख रक्खी, उनका जिस खुले दिल से स्वागत किया गया, उसे देख हम उत्साहित हो अपने विज्ञ पाठकों के सन्मुख एक अति उपयोगी पुस्तक (कि जिसमें मुख्य निती, सदाचार, व्यवहार और धर्म क्रिया इन चार विषयों पर छोटे २ वाक्यों में वर्णन किया गया है कि जिसकी रचना गुजराती भाषा में लींबड़ी सम्प्रदाय के महामुनि श्री गुलावचन्द जी स्वामी तथा मुनिराज श्री वीरजी स्वामी ने की थी कि जिसकी उपयोग्यता पर मुग्ध होकर श्रीमान् दयाकोर खेमचंद नभावसार • बम्बई ने प्रकाशित करा सर्व साधारण को मुस्त वितीर्ण की थी, कि जिसका राष्ट्रीय भाषा हिन्दी में होना अति आवश्यक स.