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________________ (२०) २ धर्मस्थान में हूंकारे, तूंकारे विभत्स शब्द से अपमान वाचक शब्द से कि सी को नहीं बुलाना. ३ धर्मस्थान अविनयी शब्द का उच्चार नहीं करना तथा किसाको गाली नहीं देना. ४ धर्मस्थान में विषवाद उत्पन्न हो। उस तरह वाद नहीं करना. ५ धर्मस्थान में गर्वयुक्त शब्द नहीं बोलना. ६ धर्मस्थानमें कठोर, कर्कश, परको पीडा कारी मर्मभेदक तथा दूसरों के रहस्य प्रकाशक शब्द बोलना नहीं और किसी को भय उत्पन्न होवे ऐसे वचन नहीं बोलना. ७ धर्मस्थान में स्त्रीकथा, भत्तकथा, देश कथा और राजकया श्रादि किसी तरह ..की विकया फजूल वातें नहीं करना. ८ धर्मस्थान में माया कपट.से प्रपंच युक्त - भाषण नहीं करना. है धर्मस्थान में हांसी मश्करी या किसी " की दिल्लगी नहीं करना. : .
SR No.010304
Book TitleJain Shikshan Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
PublisherJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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