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जैन महाभारत
कोई व्यक्ति जोर से बोला- "अन्धे धृतराष्ट्र की क्या बुद्धि भी मारी गई है, जो यह अन्याय करा रहे है । यह तो दरिद्र जुआरियो में भी नही होता ।"
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विदुर जी ने धृतराष्ट्र से कहा- "सुन रहे हो ? लोग क्या कह रहे हैं ? तुम्हारा बेटा तुम्हारा नाम उछाल रही है
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भीष्म पितामह ठण्डी स्वांस लेते हुए बोले- ''इस घोर पाप को देखने से पहले ही मैं मर जाता तो अच्छा था ।"
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दुर्योधन इन आवाजों से व्याकुल हो कर चीख उठा- '' बन्द करो यह बाते, जो होता है उसे देखते रहो ।"
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