________________
- बाजी---
जीते तो .चस्का पडे, हारे लेत उधार । । ।
ना मुराद इस खेल की, जीत भली न हार
फिर पासे फेके गए, युधिष्ठिर ने जीते हुए धन और दासियो __ को दाव पर लगा दिया। उसे वे हार गए। फिर तो अपनी
सारी सेना की बाजी लगादी और हार गए। एक बार सब हाथी । लगा दिए, उन्हे भी हार गए। शकुनि का पासा मानो उस के . ।इशारो पर चलता था।
, खेल चलता रहा। युधिष्ठिर बारी बारी से अपनी गाये। - भेड-बकरियां , दास दासिया, स्थ. घोडे, हाथी, सेना और " यहा तक कि देश की प्रजा को भी हार बैठे । परन्तु उनका चस्का न छूटा, तव भीम ने हस्तक्षेप करते हुए कहा - "भ्राता जी] अब बहुत हो चुका ।, शास्त्रो मे जो कहा है, उस का, परिणाम मिल गया.. अब आप इस नाश कर्ता खेल को बन्द
कीजिए। क्यो दुनिया भर के सामने लज्जित होते हैं ? क्यो __ अपने माथे पर कलक लगाते हैं। । उस समय शकुनि बोला-“भोम तुम चुप रहो। जव ६ इधर से कोई नही बोल रहा, तो तुम क्यो हस्तक्षेप करते हो। ३१ जी हार गए, क्या पता दूसरे दाव पर उसे युधिष्ठिर जीत ले ? 2. क्या हार कर वापिस जाना चाहते हो ?' स . युधिष्ठिर के मन मे, जो अाशा करवटे बदल रही थी, और सहारा मिला, वे भीम को शात करते हुए बोले-' भीम तुम चुप रहो। इस बार न सही, तो अबको बार तो मुझे और भी भाग्य
आज़मा लेने दो ।" - भाइयो के शरीर पर जो ग्राभूषण थे, वह भी उन्होंने दाव तो पर लगा दिये, और हार गए। - और कुछ शेष है ?" शकुनि ने पूछा । । । । -- . युधिष्ठिर यू हार मानने वाले न थे, भला वह कैसे सहन ___कर लेते कि वे जुए मे चारो खाने चित हो गए, बोले- 'यह