________________
___५९८. . . .
जैन महाभारत -
समाचार जाकर सुनाता हूं." ,
: यह कहकर वह अपने मामा कृपाचार्य: उस स्थान की ओर चला जहा दुर्योधन : रहा था । : : . . . . .
MTT
- दुर्योधन के पास पहुंच कर,अश्वस्थामा ने .. "महाराज दुर्योधन.! आप अभी जीवित है क्या.. लिए कैसा,शुभ समाचार लाया हू, जिसे सुनकः , * अवश्य ही ठण्डा हो जायेगा और आप शाति से मर मैंने कृपाचार्य व कृतवर्मा ने सारे पाचाल समाप्त कर .. . के भी सारे पुत्र हमने मार डाले। द्रौपदी को कोई 1 छोडा । पाण्डवो की सारी सेना को हमने या तो जला - अथवा कुचल कर या अग प्रत्यग तोड़ कर खत्म कर · , wh प्रकार पाण्डवो के 'वोसे और सनिको का 'सर्व नाश पाण्डवों के पक्ष में अव ज्ञात ही व्यक्ति जीवित है और हम तीन । अव तो आपको अवश्य ही शांति मिलो होर उन सभी को सोते हुए ही जा घेरा था और इस प्रकार हुए अन्याय का वदला ले लिया ।" . . ... 17 :दुर्योधन को यह समाचार सुनकर अपार हर्प हुअा ... "प्रिय गुरु भाई ! आज तुमने वह कार्य किया है. पितामह, वीर कर्ण और द्रोणाचार्य भी न कर पाय । सन्तुष्ट हो गई । अब, मैं शाति पूर्वक मर सकूँगा । तुम्ही सुनने के लिए ही जो रहा था-', इतना कह कर दुर्योधन हिचकिया ली और उसके प्राण पखेरू उड़ गए। ..
पाण्डवों को अपनी सेना, अपने वीरों और 'द्रौपदी के । इस प्रकार मारे जाने से बड़ा ही दुख हुआ । युधिष्ठिर बोले-.. अभी हमे विजय प्राप्त हुई थी । और मैं समझता था कि यह कारी युद्ध समाप्त हो गया । पर अश्वस्थामा के पापी हाथो ने पी. पलट दिया। उसने एक पाप करके हमारी जीत को भी पराजय मा. परिवर्तित कर डाला । ओह ! हम क्या जानते थे कि 'द्रोण पुत्र अश्वस्थामा इतना नीच हो सकता है । सोते शत्रुओं पर तो आज
--
--
---
-