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* चतुर्थ परिच्छेद *
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X अद्भुत महल
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जरासिन्ध और शिशुपाल का वध हो जाने से महाराज युधिष्ठिर के सम्राट पद पाने का रास्ता खुल गया। श्री कृष्ण के - सहयोग से महाराजाधिराज पद से युधिष्ठिर को विभूषित करने के = लिए एक महोत्सव राजसूयज्ञ के नाम से रचाया गया और दुर्योधन = कर्ण और शकुनी भी श्री कृष्ण के कारण महाराज युधिष्ठिर को । सम्राट बनने से न रोक पाये।
इधर श्री कृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन के ( साथ कर दिया था इस लिए पांडवों के साथ उनका घनिष्ट सम्बन्ध , था, वे पाण्डवो के प्रत्येक कार्य मे सहयोग और परामर्श देते थे। इसी सम्बन्ध के कारण, और महाराज युधिष्ठिर को धर्म परायणता के कारण पाण्डवों की कीर्ति में वृद्धि होती रही. प्राधा राज्य पाने पर भी वह भारत खण्ड में प्रसिद्ध हो गए और सौ राजा उनके प्राधीन आ गए।
१ सुभद्रा के गर्भ से एक कातिवान पुन उत्पन्न हया, इस खुशो ( में महाराज युधिष्ठिर ने एक विराट उत्सव किया। उस उत्सव के लिए अर्जुन के मित्र मणिचूड ने अद्भुत महल बनाया, जिसमें उस युग की सर्वोत्तम कला दिखाई गई थी। रत्तो और मणियो से युक्त दीवारें पोर स्तम्भ इतने आपंक बने हए थे कि अखि घोबा खा जाती थी। कही रवि उदय होता दर्शाया गया था. तो काही पूर्ण पाति धवल चांदनी वत्रता हमा। फर्श पर नील मणि लगी थी।