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.. जयद्रथ वध
भीम सेन ने रथ से कूद कर हाथियो के शवो के पीछे मोरचा जमाया। वहां से उसके हाथ जो भी लगा, रथी के टुकडे, पहिए, टूटे हुए भाले, टूटी गदाए आदि, वही फेक कर कर्ण को मारी। उस समय यदि कर्ण चाहता तो भीम को मार डालता, परन्तु जब ऐसा अवसर प्राया, जो उसे कुन्ती को दिया वचन याद आगया । उसने वचन दिया था कि वह अर्जुन के अतिरिक्त और किसी पाण्डव को नं मारेगा । उसी वचन के अनुसार उसने भीम, सेन का बध न किया।
___ इतने मे ही श्री कृष्ण की नज़र भीम सेन पर पड़ गई जो निःशस्त्र होकर भी कर्ण के ऊपर प्रहार कर रहा था. उन्होंने अर्जुन से कहा- “पार्थ ! उधर देखो भीम सेन को कर्ण,मारे डाल रहा है ।", .
अर्जुन औरो से लडना भूल तुरन्त -भीम सेन की रक्षा के लिए पहुच गया ।
"-x 'xri xi - इंधर सात्यकि और भूरि श्रवा मे युद्ध हो रहा था ।' लडते लंडते सात्यकि और भूरि श्रवा दोनों के घोड़े मारे गए, धनुष कट गए और रथ भी बेकार हो गए । इसके पश्चात दोनो वीर ढाल तलवार लेकर भूमि पर उतर आये । और आपस मे भिड गए। 1 दोनो ने हो वडे पराक्रम का प्रदर्शन किया। दोनो ही एक दूसरे से बढ कर थे। अत. दोनो अपने अपने बाहु वल से ' एक दूसरे को पराजित करने की चेष्टा करते रहे। परन्तु क्रिमी ने भी हार न मानी और दोनो की ढाले कट गई । तब वे प्रापस. मे मल्ल युद्ध करने लगे।
. दोनो एक दूसरे की छाती से छाती टकराते और गिर पड़ने । एक दूसरे को कसकर पकड लेते और ज़मीन पर लोटने लगते । फिर अचानक उछल कर खडे हो जाते । और एक दूसरे को धक्का देकर मार गिराते । इसी प्रकार दोनो युद्ध रते रहे।
इतने मे श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा-"धनजय ! सात्यकि थक गया प्रतीत होता है । जान पड़ता है भूरि श्रवा उसकी जान ही लेकर छोडेगा ।". .
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