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________________ ५३० जैन महाभारत मात्र भी विचलित न हुआ। उसने पुन: एक दूसरा धनुष सम्भाला और भीमसेन पर ही बाण बरसाने लगा, जिससे भीमसेन का धनुष कट कर गिर गया पल भर में ही जयद्रथ के बाणो से भीमसेन के रथ के घोडे ढेर हो गए। लाचार होकर भीमसेन को अपना रथ छोडकर सात्यकि के रथ पर चढना पड़ा। जयद्रथ ने जिस कुशलता से व्यूह की टूटो किले बन्दी को फिर से पूरा करके और वीरता से पाण्डवो को रोके रखकर व्यूह को ज्यो का त्यो बना दिया और पाण्डवों को व्यूह में प्रवेश न करने दिया, इस लिए अकेला अभिमन्यु कुछ सैनिको सहित ही व्यूह में पहुंच पाया और समस्त पाण्डव-वीर जो सकट के समय अभिमन्यु की रक्षा करने के उद्देश्य से चले थे, व्यूह से बाहर ही रह गए। अभिमन्यु व्यूह में अकेला महावली होते हुए भी कौरवो का नाश कर रहा था, जो भी उसके सामने आता उसे वह मार गिराता। पाण्डव-वीर बाहर खड़े खडे तो उसका तमाशा देखते रहे या कभी-कभी व्यूह मे प्रवेश करने के लिए भीषण आक्रमण करते रहे। परन्तु जयद्रथ वहा से न टला। उसने एक वार ललकार कर कहा भी-"मैं जीते जी अब किसी को भी व्यूह में प्रवेश न करने दंगा।" -और हुप्रा भी यही भीमसेन की गदा, नकुल सहदेव का रण कौशल और अन्य वीगे की चतुरता भी किसी काम न आई। इधर पाण्डव वोर व्यूह में प्रवेश करने के लिए असफल प्रयत्न कर रहे थे, उधर बालक अभिमन्यु सभी कौरव वीरो और उनकी सेना के बीच खड़ा अपने वाणो से सेना को तहस नहस कर रहा था। दुर्योधन पुत्र लक्ष्मण अभी बालक ही था, बिल्कुल अभिमन्यु की आयु का ही परन्तु अभिमन्यु की भांति उस मे भी वीरता फूट रही थी। उसे भय छु तक न गया था। अभिमन्यु की वाण वा से व्याकुल हो कर जब सभी योद्धा पीछे हटने लगे, तो लक्ष्मण से न रहा गया। वह अकेले ही जाकर अभिमन्यु से जा भिडा। वाल के लक्ष्मण की इस निर्भयता तथा वीरता को देख कर भागती हुई कौरव सेना पुन. इकठ्ठी हो गई और बालक लक्ष्मण का साथ देकर लड़ने लगी। उम ने बड़े वेग से अभिमन्यु पर वाण वर्षा करना प्रारम्भ करदी, पर वे बाण उसे ऐसे लगे, जैसे पर्व पर मेघ दे। दुर्योधन पुन अपने अदभुत पराक्रम का परिचय देता हुप्रा - बढ़ी वारता से युद्ध करता रहा। जब बहुत देर हो गई प्रार
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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