________________
अभिमन्यु का वध
तो वह स्वय ही जोश मे आकर बाल वीर से जा भिडा। परन्तु दुर्योधन को क्रुद्ध होकर अपने सामने आया देख कर अभिमन्यु की वा खिल गई । बड़े जोश से बोला-"आईये ! महाराज में आप ही की सेवा के लिए तो यहा आया हूं। अंभो तक आप कहां छुपे हुए
दुर्योधन की कनपटी, जलने लगी, आवेश में आकर बोला"क्यो रे छोकरे ! कुछ सैनिको पर तेरा वार क्या चल गया तू होश. ही खो बैठा। सिंह की माद मे आकर-भी छाती तानता है। ठहर अभी ही तुझे बताता हूं।"
कह कर दुर्योधन अभिमन्यु की ओर झपटा, पर इस से पहले कि वह कोई वार कर सके, अभिमन्यू के वाण उसकी ओर फुफकारे - नागो की भांति झपटे। । "ओह ! तू तो सिपोलिया है।"-इतना कह कर दुर्योधन वही रुक गया और बाण वरसाने लगा परन्तु अभिमन्यु के. बाणो के आग उस के बाण कुछ न कर पाये। दुर्योधन कितनी बार दिशा बदल वदल कर,वार करने का प्रयत्न करता रहा, परन्तु अभिमन्यु योधन के बाणों को बीच ही मे, काटता रहा। इस प्रकार दोनो मे बार युद्ध छिड़ गया। अभिमन्यू के प्रहारो को देख कर कौरव निको को शका होने लगी कि कही महाराज दुर्योधन बालक के साथी हो न मारे जायें। भयभीत होकर सैनिक शोर मचाने लगे। ... द्रोणाचार्य को जब पता चला कि दुर्योधन अभिमन्यु से जा भड़ा है और वह वीर बालक दर्नोधन का नाको दम किए हुए हैं ।
ह बड़ा हो चिन्ता हुई और तुरन्त कुछ वीरो को आदेश दिया कि १ जाकर शीघ्र ही दुर्योधन की रक्षा करें। जैसे भी हो दुर्योधन को
सह-शिशु के पजे से सुरक्षित छडा लें। आदेश पाते हो कितने __ हा वीर दुर्योधन की सहायता के लिए दौड पड। - दुधिन अपनी सी बहत कोशिशें कर रहा था कि किसी कार अभिमन्यु के चक्कर से निकला जाये पर वह वीर वालक उसे
लन ६ तभी तो दुर्योधन निकले। इतने में ही द्रोणाचार्य की १. वहा पहुंच गई। जब एक साथ कितने ही वीरो ने दुर्योधन की ना करनी प्रारम्भ कर दी, तो दुर्योधन को बड़ा सन्तोष हुआ। बार बड़े परिश्रम से अभिमन्यु से युद्ध करने लगे, परन्तु अभि