________________
५०७
तेहरवा दिन
दुर्योधन के इन शब्दो से द्रोण को बड़ी चोट लगी। सैनिकों की उपस्थिति मे बात कही गई था, इस लिए उन्हे और भो असहय हो गई। वह उत्तोजित होकर बोले-"दुर्योधन ! तुम्हारी यह वाते बता रही हैं कि तुम मानसिक सन्तुलन खो बैठे हो। मैंने तो पहले ही कह दिया था कि जब तक अर्जुन हस्तक्षेप करता रहेगा, तुम्हारा उद्धेश्य पूर्ण नही होगा। कल भी ठीक समय पर अर्जुन वहा पहच गया। फिर मैं क्या कर सकता था, अपना सा प्रयत्न मैंने बहुत.क्यिा। और भविष्य में भी करता रहूंगा । क्षत्रिय कुल मे उत्पन्न होकर भी तुम्हारे मुह से ऐसी बाते निकलतो हैं कि आश्चर्य होता है।"
- क्रोध तो द्रोण को भी बहुत आया था, परन्तु वे क्रोध को पी गए, अपने को उन्होने शांत कर लिया। दुर्योधन उत्तर मे कुछ कहना ही चाहता था कि द्रोण बोल उठे-"युद्ध का समय-होने वाला है। मुझे तैयार हो लेने दो। बातो से काम नही चले गा। युद्ध मे शस्त्र नौर वल चाहिए। दुर्योधन चुप होकर वापिस चला गया।
Amrta