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जैन महाभारत
जरासिन्ध ने प्रसन्न हो कर कहा- अब भी तो ढग की बात कही। सिंह को शंगाल से डराने की बात करता है। यादवो के । लिए तो मैं अकेला ही हूं।
"महाराज ! आपकी अपार शक्ति के सामने वे क्या है ? मैं कही पाप को मर्यादा के प्रतिकूल कोई बात थोडे ही कर सकता ह? मैं तो आपको उत्तेजित कर शत्रुओ के नाश का समुचित प्रबंध कर रहा था ।" मत्री ने कहा।
वात चीत करते करते रवि अस्त हो गया। जरासिन्ध ने समस्त सरदारो और योद्धाओ को खा पी कर विश्राम करने का आदेश दिया। ' x x x x x x. x
प्रात.काल होते ही जरा सिन्ध ने चक्रव्यूह रचना प्रारम्भ कर दिया। एक सहस्र ओर बनाए गए, एक एक ओर पर एक एक हजार योद्धा, नरेश और रण बाकुरे लगाए गए। एक एक योद्धा के साथ दो दो हजार रथं सवार, अश्व सवार और पैदल सैनिक थे। औरों की रक्षा के लिए ५ सहन घुड सवार और सोलह सहस्र पैदल सैनिक नियुक्त किए गए। चक्रमुख पर आठ हजार योद्धा जिन मे विशेषतया कौरव वशी सेना के सरदार थे, नियुक्त किए गए। चक्र के मध्य मे मगधेश्वर के साथ पांच हज़ार शूरवीर रण वाकुरे रक्खे गए और उनके चारो ओर सवा ६ हज़ार रणवीर चुने हुए नौजवान खड़े किए गए। बाई ओर मध्य देश के नरेश और उस की सेना दाई ओर उनके अन्य भूप लगाए । चक्र नाभि की सधि सधि पर एक एक शूरवीर सेना पति नियुक्त किया गया । चक्रव्यूह में सामने शकट व्यूह रचा गया जिस पर शिशुपाल की सेनाए, व सरदार थे।
___ जब जरा सिन्ध के चक्रव्यूह की सूचना श्री कृष्ण को मिली तो उन्हो ने गरुड व्यूह रचने का आयोजन किया । व्यूह के मुख पर ५० हजार तेजस्वी कुमार रक्खे गए। मोर्चे पर कृष्ण और वलराम ने अपने अपने रथ रक्खे। वसुदेव के अक्रूर सुमुख आदि राजकुमारा