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छटा दिन
दुर्योधन को परास्त करके धृष्ट द्युम्न कौरव सेना के दूसरे वीरो पर टूट पड़ा और बडी फुर्ती से सहार करने लगा। उसी समय महारथी कृतवर्मा का दाव लगा और उसने भीमसेन को वाणो से आच्छादित कर डाला। भीमसेन कृतवर्मा के इस वेग पूण प्रहार को देखकर हसा और मुस्कराते हुए ही उसने अपने बाणो की झडी लगा दी। देखते ही देखते कृतवर्मा के सारथि और घोडो को धाराशायी कर दिया और कृतवर्मा स्वय भी बुरी तरह घायल हुआ । वचने का और कोई उपाय न देख वह दौडकर धृतराष्ट्र के साले वृषक के रथ पर चढ गया और भीमसेन के सामने जो भी पडा वही वाणो से घायल होकर या तो मर गया अथवा भाग खडा
हुआ।
दूसरी ओर अवन्ति नरेश विन्द और अनुविन्द इरावान से टक्कर ले रहे थे। उनमे बडा ही रोमाचकारी युद्ध छिडा हुआ था। दानी ओर से तीक्ष्ण बाण चल रहे थे । परन्तु अकेला इरावान दोनो जाताओ को होश न लेने दे रहा था। एक बार दोनो भ्राताओ ने इरावान के ऊपर भीषण प्रहार किया। कुपित होकर इरावान ने दिव्य वाणो का प्रयोग किया और अनविन्द के सारथि तथा उसके रथ के चारो घोडो को मार गिराया। अनुविन्द तब अपने भाई विन्द के रथ पर चढ गया और उसी रथ पर से दोनो भाई बाण १पा करने लगे। ऋध इरावान ने देखते ही देखते उनके सारथि
मार गिराया। वाणों की भीपण वर्षा के मारे रथ के घोडे चर्चाक कर रथ को इधर-उधर लेकर भागने लगे और बेचारे अनुविन्द व विन्द को अपने रथ घोडो को काबू में करने की एक समस्या उत्पन्न हो गई। परन्तु ऐसी जटिल समम्या में फसे विन्द तथा अनुविन्द को इरावान ने छोडकर और दूसरे कौरव सैनिको से भिड गया।
अब आप अपनी दष्टि उधर भी उठाईये, जिधर भीम पुन पटात्कच भगदत्त के साथ भयकर यद्ध कर रहा है। दोनो ओर में पाणी को वर्षा हो रही है और तेजी से उधर से उधर भागते व पूमत ग्थो के कारण धन के बादल में उठ रहे हैं। वर देखिय पानवर घटोत्कच ने एक बार विद्यत गति में वाणो की भदी लगा दापौर भगदत्त उम वाणो की छाया में किन्युन हुप 21