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* पैतीसवां परिच्छेद *
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चौथा दिन
पौ फटी और भीष्म ने कौरव सेना का पुनः न्यूह रचा। द्रोण, दुर्योधन आदि भी उन्हे घेरकर खड़े हो गए। जब सेना की व्यवस्था ठीक हो गई तो भीष्म जी ने सेना को आगे बढ़ने का आदेश दिया । उधर अर्जुन कपि की ध्वजा वाले रथ से भीष्म जी की समस्त गतिविधियो को देख रहा था, उसने भी अपनी सेना को ठीक किया और आगे बढा । युद्ध आरम्भ हो गया।
अश्वस्थामा, भूरिश्रवा, शल्य, चित्रसेन, शल-पुत्र आदि पाच वीरो ने अभिमन्यु को एक साथ घेर लिया और भीषण वार करने लगे। परन्तु अर्जुन पुत्र बालक वीर अभिमन्यु तनिक भी विचलित न हुआ और आक्रमण का वीरता पूर्ण दृढता के साथ मुकाबला करने लगा। मानो एक सिंह गावक हाथियो के झुण्ड का मुकाबला कर रहा हो। अर्जुन ने जब यह देखा तो उसे बडा क्रोध आया और तुरन्त ही अभिमन्यु की रक्षा के लिए पहुंच गया। अर्जुन के पहुंचते ही युद्ध मे गम्भीरता आ गई। इतने मे धृष्ट द्युम्न भी भारी सेना लिए वहां आ पहुंचा।
शल का पुत्र मारा गया, यह सूचना पाते ही शल और शल्यः उम स्थान पर जा पहुंचे और धृष्ट द्युम्न पर वाणों की वर्षा करन लगे और उन्होने उसका धनुष काट डाला। यह देखकर अभिमन्यु धृष्ट द्युम्न की सहायता के लिए पहुंच गया और उसने जाते ही शल्य पर तीक्ष्ण वाणो की वर्षा कर दी। फिर क्या था शल्य भा .