________________
जैन महाभारत
गया । द्रपद, विराट, धृष्टद्युम्न, शिखण्डी, सात्यकि चेकितान, भीम । सेन, सात महारथी. इन सात सैन्य-दलो के नायक बने । अब प्रश्न उठा कि सेनापति किसे बनाया जाये ? सभी की राय ली गई।
युधिष्ठिर ने सब से पहले सहदेव की राय मागी, बोले-.. महदेव ! इन सात महारथियो मे से किसी एक सुयोग्य वीर को सेनापति बनाना होगा । हमाग सेनापति रण-कुशल हो। शत्रु-संन्य को दग्ध करने वाला हो ! क्सिी भी विकट स्थिति में सामन त्यागे, जो व्यूह रचना में निपुण हो और भीष्म जैसे महान तेजस्वी का सामना कर सके । तुम बताओ कौन है इन सातो मे शूरवीर, सुयोग्य महारथी ?"
. सहदेव सव से छोटा था, इस लिए पहले उससे राय ली गई। क्योकि बडो का आदर करने के कारण छोटे अपने बडो की गय का अनुमोदन कर दिया करते हैं, इससे उनकी अपनी राय का ठीक ठीक पता नही चलता और न उन में प्रात्मविश्वास ही सचार होता है। सहदेव ने कहा--"अज्ञातवास के समय हम-ने जिन का प्राश्रय लिया था और जिनकी सहायता से हम यह सारा सैन्य-दल एकत्रित कर सके । जो अनुभवी और वद्ध हैं। जिनकी अनगिनत कृपाए हम पर रही है. उन्ही राजा विराट को हमे सेनापति बनाना चाहिए। फिर नकुल से पूछा गया। उसने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा"मुझे तो यही उचित लगता है कि पाचाल राज द्रपद जो आयु मे, बल में, बुद्धिमता और अनुभव आदि मे सब से बडे है उन्हे सेनापति बनाया जाय । क्योकि उन्होने द्रोणाचार्य के साथ साथ अस्त्र विद्या ग्रहण की है। द्रोणाचार्य को परास्त करने की कामना उनके मन मे बरसों से ममायी हुई है। वे द्रौपदी के पिता भी है उनके मन पर द्रौपदी के अपमान में जो ठेम पहुंची है उससे उनकी रगो में कौरवों के प्रति क्रोध भर गया है । वे भीम और द्रोण का मुकावला भी कर सकते है।"
इस के बाद अर्जुन में पूछा गया। वह बोला "जो जितेन्दिय हैं, होण का वध ही जिन के जीवन का उद्देश्य है वार धृष्टद्युम्न हमारे मनापति बने तो ठीक होगा।